विप्रो के फाउंडर चेयरमैन अजीम प्रेमजी ने गुरुवार को एक लेक्चर में बताया कि उनके जीवन में मानवता से प्रेम और परोपकार कितना अहम है। प्रेमजी ने कहा- मेरी मां और महात्मा गांधी के जीवन से मेरी सोच काफी प्रभावित हुई। मैंने उनसे समझा कि संपत्ति का इस्तेमाल कैसे करना चाहिए। मेरी मां मुंबई में बच्चों के ऑर्थोपेडिक हॉस्पिटल की प्रमुख फाउंडर थीं। ये अस्पताल पोलियोग्रस्त बच्चों के लिए एशिया में अपने तरह का पहला था। मेरी मां डॉक्टर थीं, वे 78 साल की उम्र तक अस्पताल की चेयरपर्सन भी रहीं। प्रेमजी ने कहा- महात्मा गांधी की इस विचारधारा में मुझे पक्का विश्वास है कि संपत्ति का उपयोग लोगों की भलाई के लिए होना चाहिए, इसके लिए ट्रस्टीशिप भी जरूरी है।
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- Azim Premji said let the property be spent on the welfare of the people, learned this from mother and Mahatma Gandhi
परोपकार / अजीम प्रेमजी ने कहा- संपत्ति लोगों की भलाई पर खर्च हो, मां और महात्मा गांधी से ये बात सीखी

- इन दोनों ने मानवता से प्रेम के प्रति मेरी सोच को काफी प्रभावित किया: प्रेमजी
- प्रेमजी जनहित के लिए 1.45 लाख करोड़ रु दे चुके, उन्हें भारत के बिल गेट्स कहा जाता है
- प्रेमजी को मद्रास मैनेजमेंट एसोसिएशन की ओर से बिजनेस लीडरशिप अवॉर्ड मिला
Dainik Bhaskar
Nov 22, 2019, 05:54 PM IST
चेन्नई. विप्रो के फाउंडर चेयरमैन अजीम प्रेमजी ने गुरुवार को एक लेक्चर में बताया कि उनके जीवन में मानवता से प्रेम और परोपकार कितना अहम है। प्रेमजी ने कहा- मेरी मां और महात्मा गांधी के जीवन से मेरी सोच काफी प्रभावित हुई। मैंने उनसे समझा कि संपत्ति का इस्तेमाल कैसे करना चाहिए। मेरी मां मुंबई में बच्चों के ऑर्थोपेडिक हॉस्पिटल की प्रमुख फाउंडर थीं। ये अस्पताल पोलियोग्रस्त बच्चों के लिए एशिया में अपने तरह का पहला था। मेरी मां डॉक्टर थीं, वे 78 साल की उम्र तक अस्पताल की चेयरपर्सन भी रहीं। प्रेमजी ने कहा- महात्मा गांधी की इस विचारधारा में मुझे पक्का विश्वास है कि संपत्ति का उपयोग लोगों की भलाई के लिए होना चाहिए, इसके लिए ट्रस्टीशिप भी जरूरी है।
'महात्मा गांधी के जीवन से अब भी बहुत कुछ सीखना बाकी
प्रेमजी ने कहा- जो बहुत ज्यादा अमीर हैं उन्हें अपनी संपत्ति का पर्याप्त हिस्सा जनहित के लिए इस्तेमाल करना चाहिए। मैंने जितने परोपकार के काम किए उतना ही महसूस किया कि ये कारोबार चलाने की तुलना में ज्यादा जटिल था। मुद्दे काफी छोटे होते हैं, दृढ़ निश्चय काफी मुश्किल होता है। कारोबारी सफलता ने मुझे कई बातें सिखाईं। महात्मा गांधी की जयंती का 150वां साल चल रहा है। उनके जीवन से अब भी बहुत कुछ सीखना बाकी है।
प्रेमजी को मद्रास मैनेजमेंट एसोसिएशन की ओर से अमलगेशंस बिजनेस लीडरशिप अवॉर्ड दिया गया। मूल्य आधारित कारोबार खड़ा करने, विप्रो को ग्लोबल आईटी कंपनी बनाने और भारत को दुनिया में सॉफ्टवेयर राष्ट्र के रूप में पहचान दिलाने के लिए प्रेमजी को ये पुरस्कार दिया गया। इस मौके पर 'लीडिंग ए यंग एंड डिजिटल इंडिया' टॉपिक पर अनंतारामाकृष्णन मेमोरियल लेक्चर में उन्होंने अपने जीवन से जुड़ी बातें साझा कीं।
परोपकार के लिए बड़े स्तर पर निजी संपत्ति दान करने की वजह से प्रेमजी भारत के बिल गेट्स कहे जाते हैं। मार्च में उन्होंने विप्रो के अपने 52,750 करोड़ रुपए के शेयर दान देने का फैसला किया था। वे अजीम प्रेमजी फाउंडेशन के जरिए परोपकार के काम करते हैं। इसमें अब तक 1.45 लाख करोड़ रुपए दे चुके हैं। दुनिया के सबसे बड़े दानदाताओं में शुमार बिल गेट्स ने प्रेमजी की तारीफ भी की थी। प्रेमजी 53 साल विप्रो का नेतृत्व करने के बाद 30 जुलाई को चेयरमैन पद से रिटायर हो गए। वे अब नॉन-एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर और फाउंडर चेयरमैन के तौर पर बोर्ड में शामिल ह